संस्कृतवाणी
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।
बुधवार, 18 जून 2014
आलस्यं न कुर्याम्
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः॥
-o-O-o-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें