न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।
असतो मा सद्गमय।तमसो मा ज्योतिर्गमय।मृत्योर्माऽमृतं गमय॥
- बृहदारण्यकोपनिषत् १-३-२८
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