बुधवार, 25 जून 2014

सा विद्या या विमुक्तये


तत्कर्म यन्न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये।
आयासायापरं कर्म विद्यान्या शिल्पनैपुणम्॥


--श्रीविष्णुपुराण १-१९-४१



कर्म वही है जो बन्धनका कारण न हो और विद्या भी वही है जो मुक्तिकी साधिका हो। इसके अतिरिक्त और कर्म तो परिश्रमरुप तथा अन्य विद्याएँ कला-कौशलमात्र ही हैं॥

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