संस्कृतवाणी
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।
शुक्रवार, 20 जून 2014
सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः
ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः।
लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा ॥
-- श्रीमद्भगवद्गीता ५.१०
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